*Magnify*
SPONSORED LINKS
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/2122299-
Printer Friendly Page Tell A Friend
No ratings.
Rated: E · Poetry · Biographical · #2122299
A poem about my father who left me when was just a small kid.
एक प्रशन सहसा उठा
यूँ ही क्यों तुम छोड़ गए
क्या कसूर था हमारा
जो हमेशा के लिए रूठ गए?

क्या हुआ उन वादों का
जो तुम ने माँ से किये
सात जनम का साथ तो दूर
सात साल भी तुम नहीं दिए

तुम्हारे साथ बीते पल
हमारी स्मृतियाँ भी न बन सकीं
क्या ये बदकिस्मती थी हमारी
कि चंद तस्वीर में सिर्फ रह गए?

गलतियां जो हम ने की
वो शायद न होती
इस जिंदगी की सुबह में
ये अँधेरी रात न होती

दीपक जो रोशन थे कभी
तुम्हारी कमी के चलते बुझ गए

जब भी माँ सुनती है तुम्हारे किस्से
उस टूटी तस्वीर के हिस्से
तब जाकर अहसास हुआ तुम्हारा
क्या हुआ ऐसा जो इतना दूर हो गए?

हर कदम तुम्हारी कमी तो खली है
हमारी जिंदगी तुम्हारे बिना ही ढली है
एक खलिश है हमारे क़दमों की आहट में
गर साथ तुम होते, ये बात हर वक़्त चली है

तुम्हारे एहसास को जीने की कोशिश तो करता था
औरों से तुम्हारे प्यार की उम्मीदें करता था
पर तुम जैसे तो सिर्फ तुम ही थे
ये हम कैसे भूल गए?

ऊँगली पकड़कर चलना तो सिखाया तुमने
रात-रात भर जागकर सुलाया तुमने
कुछ सोचता हूँ अगर इन रातों में अब
बस यही कि बहुत प्रश्न तुम छोड़ गए

प्रश्न तो हैं, कुछ के उत्तर ढूंढ रहा हूँ
किस-किस से पुछू क्या? जो में बोल रहा हूँ
क्या छूटा तुमसे? क्या कसक रह गई तुमको?
इन प्रश्नों के उत्तर अब कौन देगा हमको?
© Copyright 2017 Shivom (shivomnasa at Writing.Com). All rights reserved.
Writing.Com, its affiliates and syndicates have been granted non-exclusive rights to display this work.
Log in to Leave Feedback
Username:
Password: <Show>
Not a Member?
Signup right now, for free!
All accounts include:
*Bullet* FREE Email @Writing.Com!
*Bullet* FREE Portfolio Services!
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/2122299-